स्वच्छ करें है हम अपना तन,
स्वच्छ करें है हम अपना मन!
फिर क्यूं करें हम मैला यह स्वच्छ गगन,
स्वच्छ धरती, और यह स्वच्छ पवन!
फिर क्यूं हम धोये अपने सारे पाप इन नदियों में,
और फेंकें अपना कचरा इन नुक्कर और गलियों में!
और थूकें ऐसे जैसे होली की रंग की पिचकारी हो,
और करें शौच हर उस जगह जहां स्वच्छ चमन हो!
जब हम सब करते है साफ सफाई अपने आँगण का,
स्वागत करें हर आने वाले त्योहार और पर्व का!
तो क्यूं ना हम मनाये हर दिन को झूमती होली,
हर शाम पाक ईद, बकरीद और खिलखिलाती दिवाली!
हर सुबह हो गुरुनानक जी का, हर रात लाये बड़ा दिन,
ऐसे हो स्वच्छ हमारा, आप का और सब का जीवन!
तो चलो हम सब मिल कर यह लें शपथ ,
ना करेंगे हम गंदगी, और ना होने देंगे गंदगी,
चाहे हो वो हमारा घर, या हो फिर कोई पथ,
हो वो कोई सस्ती बाज़ार, या फिर कोई शॉपिंग महंगी,
हर राश्ता, हर सड़क, हर चौराहा पर हम यह कर जाएं,
के ना वो केवल स्वच्छ हों, पर हमसे यह बोलता जाएं,
की अब हैं स्वच्छ हमारा धन,
की अब हैं स्वच्छ हमारा तन,
की अब हैं स्वच्छ हमारा मन,
की अब है स्वच्छ हमारा आँगण,
की अब है स्वच्छ हमारा चमन,
की अब है स्वच्छ हमारा पवन,
की अब है स्वच्छ हमारा जलवान,
की अब है स्वच्छ हमारा वतन,
स्वच्छ भारत, स्वच्छ भारत, स्वच्छ भारत!